सही कीमत; Farmer and Jeweller
story from Navbharat times; link;https://navbharattimes.indiatimes.com/astro/holy-discourse/moral-stories/-/amp_articleshow/2513216.cms
सही कीमत
पुराने जमाने की बात है। एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था। कुछ दूर चलने के बाद उसका हल एक पत्थर से अटक गया। जब किसान ने जोर लगाया तो वह पत्थर अपनी जगह से हट गया। किसान थोड़ा सुस्ताने के लिए रुका। उसके पैरों में उसके जूते की कील चुभी तो उसने उसी पत्थर से उसे ठोंकना शुरू किया। तभी उधर से गुजर रहे एक राहगीर की नजर उस पत्थर पर पड़ी। वह एक जौहरी था। उसने पहचान लिया कि यह पत्थर दरअसल हीरा है। वह ठहर गया। उसने किसान को बातों में लगाकर पत्थर खरीदने की इच्छा प्रकट की। किसान आश्चर्य में पड़ गया। उसे समझ में नहीं आया कि यह आदमी इस अनगढ़ पत्थर को क्यों खरीदना चाहता है। पर उसे इससे क्या मतलब था। उसने सोचा पत्थर के बदले जो मिल जाए बहुत है। किसान ने पांच रुपये में वह पत्थर उस जौहरी को दे दिया।
पांच रुपये में ही लाखों का हीरा पाकर वह जौहरी तेजी से घर की ओर चला। वह उसे देखने के लिए उतावला था। घर पहुंचकर उसने उसे देखने के लिए थैली से निकाला तो वह हाथ से छिटककर दूर जा गिरा और टुकड़े-टुकड़े हो गया। हैरान-परेशान जौहरी के मुंह से आह निकल गई। फिर वह खुद से बोला, 'अभी कुछ ही देर पहले वहकिसान इसे अपने जूते पर जोर-जोर से पटक रहा था तो कुछ नहीं हुआ मगर यहां इस कोमल जमीन से टकरा कर ही यह टूट गया। ऐसा कैसे हो सकता है?'
तभी हीरे के बिखरे टुकड़ों से आवाज आई, 'जौहरी, तूने मेरा अपमान किया है इसलिए मेरा दिल टूट गया है।' जौहरी बोला, 'अपमान मैंने किया है या उस मूर्ख किसान ने जो इतने कीमती हीरे से अपने जूते की कील ठोंक रहा था।' हीरा दुखी होकर बोला, 'वह किसान मेरी कीमत नहीं जानता था पर तुम तो जानते थे, फिर भी तुमने मेरा मूल्य केवल पांच रुपये आंका। इस अपमान के बाद मेरे जीवन का कोई मोल नहीं रह गया था।'
जौहरी सिर पीटकर रह गया।
संकलनः रजनीकांत शुक्ल
पांच रुपये में ही लाखों का हीरा पाकर वह जौहरी तेजी से घर की ओर चला। वह उसे देखने के लिए उतावला था। घर पहुंचकर उसने उसे देखने के लिए थैली से निकाला तो वह हाथ से छिटककर दूर जा गिरा और टुकड़े-टुकड़े हो गया। हैरान-परेशान जौहरी के मुंह से आह निकल गई। फिर वह खुद से बोला, 'अभी कुछ ही देर पहले वहकिसान इसे अपने जूते पर जोर-जोर से पटक रहा था तो कुछ नहीं हुआ मगर यहां इस कोमल जमीन से टकरा कर ही यह टूट गया। ऐसा कैसे हो सकता है?'
तभी हीरे के बिखरे टुकड़ों से आवाज आई, 'जौहरी, तूने मेरा अपमान किया है इसलिए मेरा दिल टूट गया है।' जौहरी बोला, 'अपमान मैंने किया है या उस मूर्ख किसान ने जो इतने कीमती हीरे से अपने जूते की कील ठोंक रहा था।' हीरा दुखी होकर बोला, 'वह किसान मेरी कीमत नहीं जानता था पर तुम तो जानते थे, फिर भी तुमने मेरा मूल्य केवल पांच रुपये आंका। इस अपमान के बाद मेरे जीवन का कोई मोल नहीं रह गया था।'
जौहरी सिर पीटकर रह गया।
संकलनः रजनीकांत शुक्ल
Comments
Post a Comment